Budget 

#केंद्रीय बजट 


बजट शब्द की उत्पत्ति फ्रेंच भाषा के 'बूजट' (bowgette) से हुई बताई जाती है। 'बूजट' का अर्थ होता है 'चमड़े की थैली' इस आप बैग समझ सकते हैं। बजट के वर्तमान स्वरूप का यदि इतिहास में सबसे पहले उल्लेख देखा जाए तो यह सबसे पहले 1773 में मिलता है। भारतीय बजट संसद में राष्ट्रपति द्वारा निर्धारित तिथि पर प्रस्तुत किया जाता है।


वित्त मंत्री का बजट भाषण सामान्यतः दो भागों में होता है। भाग ए देश के सामान्य आर्थिक सर्वेक्षण से संबंधित है जबकि भाग बी कर संबंधी प्रस्तावों से संबंधित है। वित्त मंत्री हर साल फरवरी के महीने में देश का आम बजट पेश करते हैं। पहले आम बजट फरवरी के अंतिम दिन यानी 28 या 29 फरवरी को आता था। पिछले साल से आम बजट एक फरवरी को पेश करने की परंपरा शुरु हुई।


पहला भारतीय बजट:


भारत में बजट पेश करने की परंपरा इस्ट-इंडिया कंपनी ने शुरू की। कंपनी ने 7 अप्रैल 1860 को बजट पेश किया था। आजादी से पहले अंग्रेजों के शासनकाल में पहला बजट तत्कालीन वित्त मंत्री जेम्स विल्सन ने 1860 में पेश किया था। विल्सन ने द इकोनोमिस्ट और स्टैन्डर्ड चार्टर्ड बैंक की स्थापना की।


देश के संविधान में "बजट" शब्द नहीं:


देश के संविधान में ‘बजट’ शब्द का जिक्र ही नहीं है। संविधान में कहा गया है कि सरकार हर साल संसद के समक्ष अपना ‘वार्षिक वित्तीय विवरण’ (एनुअल फाइनेंसियल स्टेटमेंट) पेश करेगी। इसके ही लोकप्रिय भाषा में बजट कहा जाता है।


बजट से जुड़े प्रमुख तथ्य:


स्वतंत्रता के बाद देश का पहला बजट पहले वित्त मंत्री आर० के० षणमुखम शेट्टी ने 26 नवंबर 1947 को पेश किया। इसमें 15 अगस्त 1947 से लेकर 31 मार्च 1948 के दौरान साढ़े सात महीनो को शामिल किया गया। इस बजट में किसी तरह के टैक्स के प्रस्तावों को शामिल नहीं किया गया था।


आरके षणमुखम चेट्टी ने 1948-49 के बजट में पहली बार अंतिरम शब्द का प्रयोग किया तब से लघु अवधि के बजट के लिए इस शब्द का इस्तेमाल शुरु हुआ।


भारतीय गणतंत्र की स्थापना के बाद पहला बजट 28 फरवरी 1950 को जान मथाई ने पेश किया था इस बजट में योजना आयोग की स्थापना का वर्णन किया था।


भारत की नई गठित संसद के समक्ष पहला बजट सीडी देशमुख ने पेश किया था। वह आरबीआई के पहले भारतीय गवर्नर थे और 1950 से 1956 तक वित्त मंत्री रहे।


1958-59 में देश के तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरु ने बजट पेश किया उस समय वित्त मंत्रालय उनके पास था ऐसा करने वाले वे देश के पहले प्रधानमंत्री बने इंदिरा गांधी ने भी प्रधानमंत्री रहते बजट पेश किया अब तक बजट पेश करने वाली और वित्त मंत्री का पद संभालने वाली वे देश की इकलौती महिला है।


मोरारजी देसाई ने अब तक सर्वाधिक दस बार बजट पेश किया है छह बार वित्त मंत्री और चार बार उप प्रधानमंत्री रहते हुए उन्होने ऐसा किया अपने जन्मदिन पर भी बजट पेश करने वाले भी वह एकमात्र मंत्री है।


देसाई के बाद प्रणब मुखर्जी, पी.चिदंबरम, यशवंत सिन्हा, वाई.बी.चौहान और सीडी देशमुख हैं, इन सभी ने सात-सात बार बजट पेश किया। मनमोहन सिंह और टीटी कृष्णमचारी ने 6-6 बार बजट पेश किया। आर.वेंकटरमन और एच.एम.पटेल ने तीन-तीन बजट पेश किए। सबसे कम बार जसवंत सिंह, वी.पी.सिंह, सी.सुब्रमण्यम, जॉन मथाई और आर.के.शानमुखम ने दो-दो बार बजट पेश किया।


बजट छपने के लिए भेजे जाने से पहले वित्त मंत्रालय में हलवा खाने की रस्म निभाई जाती है। इस रस्म के बाद बजट पेश होने तक वित्त मंत्रालय के संबधित अधिकारी किसी के संपर्क में नहीं रहते परिवार से दूर उन्हेँ वित्त मंत्रालय में ही रुकना पड़ता है।


1973-74 के बजट को ब्लैक बजट के नाम से जाना जाता है क्योंकि इसमें 550 करोड़ रुपये का घाटा दिखाया गया था। वी.पी.सिंह के सरकार से इस्तीफा देने के बाद 1987 में राजीव गांधी ने बजट पेश किया था। उन्होंने बजट में कॉर्पोरेट टैक्स को परिचित कराया।